"मकान फ्री होल्ड करवाना है, चढ़ावा दो , आसानी से काम करवायो"- डीडीए कार्यालय में चल रहा हैं खेल"



निगरानी 24: (अनिल राजपूत)

नई दिल्ली: अगर आप अपने मकान को फ्री होल्ड करवाने की सोच रहे हैं तो यह मत सोचिए कि दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी कि डीडीए के ऑफिस में जब आप इसके लिए अप्लाई करोगे तो आपका काम कुछ ही दिनों में हो जाएगा और वह भी बिना कठिनाई के ?

 यह आपकी सबसे बड़ी भूल होगी, जब से डीडीए ने मकानों के लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया शुरू की है, तभी से ऐसा कोई इक्का-दुक्का मकान मालिक ही होगा जिसका मकान बिना कठिनाइयों का सामना किये फ्री होल्ड हो गया होगा.

 दरअसल दिल्ली के में आईएनए स्थित डीडीए विकास सदन मुख्यालय में मकान- दुकान या अन्य व्यावसायिक स्थान को फ्री होल्ड करवाने की प्रक्रिया की जाती है.

 सूत्रों को कहना है कि फ्री होल्ड प्रक्रिया से जुड़े डीडीए के कुछ कर्मचारी और अधिकारी यहां आने वाले मकान मालिकों को इतने चक्कर लगवा देते हैं कि बेचारा अपना माथा पीटने को मजबूर हो जाता है. नाम न छापने की शर्त पर निगरानी 24 संवाददाता को कई मकान मालिकों ने बताया कि बिना मोटा चढ़ावा दिए यहां आसानी से काम नहीं हो पता है, अक्सर कागजों में ऐसी- ऐसी कमियां निकाल दी जाती है , जिसे पूरा करने में ही काफी समय लग जाता है , वहीं अगर भ्रष्ट कर्मचारियों को रिश्वत दे दी जाए तो न केवल सारा काम आसानी से हो जाता है बल्कि डीडीए ऑफिस के ज्यादा चक्कर भी नहीं लगाने पड़ते.

सूत्रों का यह भी कहना है कि जितने भी मकान मालिकों ने अपने स्तर पर अपने मकान को बिना किसी की मदद लिए डीडीए से फ्री होल्ड करवाया है ,उनका इस संबंध में अनुभव काफी बुरा रहा है, आलम यह है कि डीडीए कर्मचारियों- अधिकारियों की लापरवाही और कई भ्रष्ट कर्मचारियों की मनमानी से बचने के लिए ज्यादातर लोग अपने मकान को फ्रीहोल्ड करवाने का ठेका प्रॉपर्टी डीलरों और डीडीए ऑफिस के बाहर घूमने वाले दलालों को दे देते हैं , बदले में यह लोग इनसे मोटी रकम वसूल लेते हैं.

 बताया गया है कि इन दलालों और प्रॉपर्टी डीलरों को डीडीए ऑफिस में आने -जाने में कोई रुकावट नहीं होती है, ये किसी भी समय वहां आ- जा सकते हैं, जबकि आम जनता के लिए ऐसा नहीं है. सूत्रों का यह भी साफ कहना है कि फ्रीहोल्ड प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारी और अधिकारियों की संपत्तियों की सीबीआई द्वारा जांच की जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी. दूसरी ओर डीडीए में ऐसे ईमानदार कर्मचारी और अधिकारी भी हैं जो न केवल परेशान लोगों की शिकायत सुनते हैं, बल्कि उनकी समस्याओं का समाधान करने में भी मदद करते हैं ,लेकिन यह तो उस मकान मालिक की किस्मत पर निर्भर करता है कि उसका मामला इन अधिकारियों के पास लंबित हो.

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