"विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस" इतिहास की पीड़ा और एकता का संकल्प— वीरेन्द्र सचदेवा"



निगरानी 24: (न्यूज़ डेस्क)

नई दिल्ली, (10 अगस्त) : 14 अगस्त को पूरे देश में “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” मनाए जाने से पूर्व आज यानी रविवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने सिंधी समाज से आए हुए सभी गणमान्यों को संबोधित किया और जिसमें विभाजन के दौरान हुए भीषण मानवीय कष्ट और बलिदानों को स्मरण किया गया। श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने विभाजन की पीड़ा झेल चुके बुजुर्गों को सम्मानित भी किया।

प्रगतिशील सिंधी समाज समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा विधायक श्री राजकुमार भाटिया एवं श्रीमति शिखा राय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यकारिणी सदस्य श्री दयानन्द जी, प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी, श्री विजय इसरानी, श्री जितिन राजपूत सहित सिंधी समाज के कई गणमान्य और विभाजन के दौरान हुए भीषण मानवीय कष्ट को झेलने वाले कई बुजुर्ग मौजूद थे। 

इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने मौन रखकर पीड़ितों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और वचन लिया कि वे समाज में भाईचारा और एकता को बढ़ावा देंगे।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि विभाजन एक साजिश और गंदी राजनीति का हिस्सा साबित हुआ क्योंकि उस वक्त के कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग नेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए इसको अंजाम दिया था। 

उन्होंने कहा कि आज भी वह जेहादी मानसिकता वाले लोग हमारे देश में हैं। हमें बस एकजुट रहने की जरूरत है, आने वाले समय में अखंड भारत बनेगा इसका हमे पूर्ण विश्वास रखना है या तो हम देखेंगे या हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इसे देखेंगी।

श्री सचदेवा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उन लाखों परिवारों की वेदना को याद करने के लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का फैसला किया जिसे उस वक्त की तत्कालिन कांग्रेस सरकार ने एक झटके में ही भुलने का काम किया था। 

उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि आखिर उस वक्त की राजनीतिक शक्ति ने घुटने क्यों टेक दिये थे। आज मेरे अलावा यहां उपस्थित जितने लोग हैं उनमें से कई परिवार के लोगों ने उस विभीषिका को होते देखा है इसलिए आज सभी भावुक भी हैं। 

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 1947 के उन काली यादों की समृति रखते हुए हमे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन से कदम मिलाकर देश को आगे बढ़ाना है । 

श्री सचदेवा ने कहा कि 1947 का विभाजन भारत के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी, जिसमें लाखों निर्दोष लोगों की जान गई और करोड़ों को अपने घर-बार छोड़ने पड़े। 

विधायक राजकुमार भाटिया ने कहा कि देश की आजादी के बाद देश के नक्शे पर लकीरे खींची जा रही थी और उस वक्त के नेता अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए मौन धारण कर चुके थे। लाखों परिवार के सदस्य एक-दूसरे से अलग हो रहे थे लेकिन अली जिन्ना और जवाहर लाल नेहरु की गंदी राजनीति के बलि कई परिवार चढ़े। उन्होंने कहा कि अपने ही देश में शरणार्थी होने को लोग मजबूर हुए और इसकी स्मृति भर से शरीर कांप उठता है। 

विधायक श्रीमती सिखा राय ने कहा कि आज का यह दिवस मनाने के लिए नहीं बल्कि उन विभीषिकाओं को याद करने के लिए है जो उन परिवार वालो के साथ हुई जिसने एक ही परिवार के सदस्य सरहद के दोनों पार में विभाजित हो गए। उन्होंने कहा कि ख़ासकर सिंधी समाज ने जिस प्रकार से ना सिर्फ़ उस विभीषिका को झेला बल्कि उससे उबरते हुए अपने बच्चों को शिक्षा दी और आज हर बड़े स्थान पर हैं वह सराहनीय है।