"पीड़ित को धमकाने के मामले में समयपुर बादली थाने के थाना प्रभारी सहित कई लोगों पर मुकदमा दर्ज़ होगा।



निगरानी 24 (न्यूज़ डेस्क)

नई दिल्ली: दो साल तक शिकायत दर्ज न करने और पीड़ित को धमकाने के मामले में ट्रायल कोर्ट ने समयपुर बादली एसएचओऔर अन्य नामित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि सबूत जुटाने की जिम्मेदारी शिकायतकर्ता की नहीं है।

रोहिणी स्थित शिकायतकर्ता अकेले आरोपों को साबित नहीं कर सकता, पुलिस द्वारा उचित जांच की भी आवश्यकता है। न्यायिक मजिस्ट्रेट गरिमा जिंदल की अदालत ने एसएचओ को तत्कालीन एसएचओ और अन्य नामजद लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और जल्द जांच पूरी कर मामले में फाइनल रिपोर्ट या आरोप पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

अनिल जैन का अपने पारिवारिक सदस्यों से संपत्ति को लेकर विवाद शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि उनके मुवक्किल अनिल जैन का अपने पारिवारिक सदस्यों से संपत्ति को लेकर विवाद था। इस विवाद में वर्ष 2012 में परिवार में मौखिक तौर पर समझौता हुआ था लेकिन वर्ष 2018 के बाद विवाद बढ़ गया। इसको लेकर उन्होंने समयपुर बादली थाने में वर्ष 2022 में शिकायत दी थी। कई माह तक भटकने के बाद भी एफआईआर नहीं दर्ज हुई और शिकायत के अनुसार तत्कालीन एसएचओ ने पीड़ितों को फर्जी केस में फंसाने और थाने से निकल जाने की धमकी दी।

हालांकि, अदालत में पुलिस द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न होने की बात एसएचओ द्वारा कही गई। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या मामला गंभीर है। ऐसे में पुलिस को शिकायत के आधार पर सुसंगत धाराएं लगाकर मुकदमा दर्ज करना चाहिए और बिना प्रभावित हुए जांच कर अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपनी चाहिए। अधिवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारिवारिक विवाद और धोखाधड़ी जैसे मामलों में शिकायत को चार से छह सप्ताह में स्पष्टीकरण के साथ निस्तारित करने की गाइडलाइन दी है। इसके अतिरिक्त संज्ञेय अपराधों में तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश है इसके बावजूद पुलिस ने दो साल शिकायत को टाला और पीड़ित को धमकी भी दी।